Book Title: Pravachan Pariksha Part 01
Author(s): Dharmsagar
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Shwetambar Samstha

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Page 424
________________ IMImea santhan श्रीप्रवचनपरीक्षा ४विश्रामे ॥३९०|| | साध्वीमिः सह बिहारः PARISHABHIIIIIIhana NSTOPINIREMALHAPURNIMATERIAPRILMIBIAFRAINIRAHULLAHIFAIRS lIRANIMADHillmilliAIII संविग्गो दवे भावे अ, देव मिगो, भावे साह संसारभउबिग्गो, मा कोवि पमाएण छलिजिहामिति सततोवउत्तो अच्छति,वजंपावं तस्स भीरू 'उअतेअस्सिति 'आरोह' गाहा उस्सेहो आरोहो भण्णति, वित्थारो परिणाहो भण्णति, एए जस्स दोवि तुल्ला उवचिअमंसो-बलीअसरीरो, इंदिअपडिपुण्णो णो विगलिंदिओ, न चक्खुविगलादीत्यर्थः,'अहो'ति एस ओओ भण्णति,तेओ जो | सरीरे अणोतप्पता 'त्रपौषि लजायाम्' अलजनीय इत्यर्थः,वस्थाईएहिं जो संगहकारो,ओसहमेसजेहिं उवग्गहपरो,क्रियापरो कुसलो, सुत्तत्थे जाणतो विद् भण्णति, एरिसो गणाधिपती भण्णति,गणधरप्ररूपणेति दारंगयं । इआणिं खेत्तपेहणेतिदारं 'खित्तस्स उ' | गाहा, खेत्तपडिलहणकमो जो सो चेव आणुपुत्री संजतीण खेतं संजतेहिं पडिलेहिअब, णो संजतीहि, तत्थवि गणधरेण, चोअग आह-किं बच्चति गणधरो?, उच्यते, जो वहति सो तणं चरति, एवं जो गणभोगं भुंजति, ततो आयरिअस्स चउगुरुं आणाइआ. य दोसा, जहा सगुणी वीरल्लसउणस्स गम्मा भवति एवं ताओवि दुट्ठगम्माउ भवंति, सबस्स अमिलसणिञ्जा भवंति, मंसपेसिअब विसयस्थीहिं पेल्लिजंति, तुच्छं-खल्पं तेणवि लोमिजंति आसिआवर्ण-हरणं एवमादिदोसा भवंति 'तुच्छेणवि' गाहा, भरुअच्छे स्ववतीओ संजतीओ दटुं आगंतुगवणियओ निअडिअसड्ढत्तणं पडिवण्णो, विसंमिया, गमणकाले पवत्तिणि विष्णवेति, |वहणठाणे मंगलठाणं, ताहं निवचेमि, संजईओ पट्टवेह, पट्टविआ, वहणे चेहवंदणट्ठा आरूढा, पयट्टि वहणं अखिवणंति, एवं हरणदोसा भवंति, 'एवमादि' गाहा, पुवंति ओहनिज्जुत्तीए दारं, इयाणि वसहिसिजायरेति दो दारा 'गुत्ता गुत्तदुवारा' गाहा, वतीपरिखित्ता गुत्ता, जस्स कवाडं अत्यि सागुत्तदुवारा, 'घणकुड्डा' गाहा,पक्किट्टिगादि घणकुड्डा,सह कवाडेण सकवाडा,सेजा|यरमाउभगिणीणं. जे धरेति संजतिवसहीए परंतेण डिआ दुहृतेणगादि पञ्चवाया णस्थि,महन्तपुरोहडा य 'णासनगाहा, विहवा-डारं NITION ॥३९॥

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