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मारा इसे देखकर वह सर्प यस रूप में प्रश्न के सामने प्राकर खड़ा हो गया
और शेर प्रद्युम्न को प्रसन्न होकर १६ विद्यायें दी। फिर प्रय म्न दूसरी काल गुफा में गया। वहां के रक्षक कालासुर दैत्य को हरा कर वहां से चंवर छत्र प्राप्त किया। तीसरी गुफा में जाने पर उसे एक भयावह नाग से लड़ना पड़ा। किन्तु उस नाग ने भी हार मानली एवं भेंट स्वरूप नागशय्या, पाबड़ी, वीणा
और अन्य तीन विद्यायें दी । जब प्रद्युम्न उन कुमारों के साथ एक सगेवर के पास पहुंचा तो उन्होंने उसे स्नान करने को कहा । पहिले तो उस सरोवर के रक्षक प्रद्युम्न को सरोवर में प्रवेश करते देख कर बड़े ऋद्ध हुए पर अन्त में मलवान जानकर मकर पताका प्रदान की। इस प्रकार प्रहा म्न जहां भी गये वहां से ही उन्हें अच्छी २ भेटें मिलती रहीं इतना ही नहीं, एक वन में उन्हें एक रती नामकी सुन्दर कन्या भी मिली, जिससे उनने विवाह कर लिया।
इस प्रकार जब वह अनेक विद्याओं का लाम लेकर कालसंबर के पास वाया तब वह उस पर पड़ा सुर: हुमः ! इस मासर माह अपनी माता कम्बनमाला से भी मिलने गया। उस समय वह प्रद्युम्न के रूप और सौंदर्य को देखकर उस पर मुग्ध हो गई और उसमें प्रेम-याचना करने लगी । प्रशम्न को इससे बड़ी ग्लानि हुई और वह जैसे तैसे अपना पीछा छुड़ाकर अपना कर्तव्य निश्चित करने के लिए वन में किसी मुनि के पास गया और उनका पध प्रदर्शन चाहा। प्रशम्न ने अपनी चतुरता से कञ्चनमाला से तीन विद्या ले ली। कञ्चनमाला ने अपनी इच्छा पूरी न होने एवं तीनों विद्याओं के लिन जाने पर स्त्री चरित्र फैलाया और प्रयन्न पर दोपारोपण किया। उसने अपना अङ्ग प्रत्यङ्ग विकृत कर लिया। कालसंबर यह सब जानकर बड़ा दुखी और क्रोधित हुना। उसने अपने ५० पुत्रों को बुलाकर प्रद्युम्न को मारने के लिए कहा । कुमार पिता की बात सुन कर बड़े खुश हुए 1 ये प्रद्युम्न को बुला कर वन में ले गये किन्तु उसे पालोकिणी विद्या द्वारा अपने भाइयों के इरादे का पता लग गया और उसे यड़ा क्रोध पाया । उसने सभी कुमारों को नागपाश से बांधकर एक शिला के नीचे दवा दिया ।
कालसंवर यह वृत्तान्त जानकर बड़ा कुपित हुआ। वह एक बड़ी सेना लेकर प्रश्न म्न से लड़ने चना | प्रद्युम्न ने भी विद्याओं के द्वारा मायामयी सेना एकत्रित करदी। दोनों ओर से भीषण युद्ध हुभा । प्रद्युम्न के आगे कालसंवर नहीं ठहर सका। तब कालसंबर अपनी प्रिया कञ्चनमाला के पास तीनों विद्यायें लेने के लिए दौड़ा किन्तु जब उसे यह ज्ञात हुआ कि प्रद्युम्न पहिले से ही विद्यामों को छल कर ले गया है तो उसे कञ्चनमाला के सारे भेद का