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विवरण, धर्मविधिवृत्ति अने चैत्यवन्दन दीपिका रची। अने ते सं. १३१३ मां वर्गस्थ धया। पछी कमळसूरि, प्रज्ञासूरि, प्रज्ञातिलकसूरि वगैरे थया।" [पृ. ४३४ ]
प्रस्तुत संस्करण सम्पादन-पद्धतियों से युक्त होने के कारण महत्त्व का है। सम्पादक श्रीगणिवर चुद्धिमुनिजीने इसके सम्पादन में अत्यधिक परिश्रम किया है, और उन्होंने स्थान स्थान पर टिप्पणीय प्रदान कर इस की महत्ता में भी वृद्धि करदी है इससे इस अन्य की उपयोगिता और अधिक बढ़ गई है।
पूज्य श्रीजिनमणिसागरसूरीश्वरान्तेवासि आश्विन शुक्ला ५, सं. २०१०
उपाध्याय विनयसागर. कोटा (राजस्थान)
साहित्याचार्य, जैनदर्शनशास्त्री, साहित्यरत्न, काच्यतीर्थ, काव्यभूषण, शास्त्रविशारद
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