Book Title: Paschattap
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 12
________________ 3... कहीं मुरसा न जाए स्टुडेंट बनना है। इस प्रकार की प्रेरणा से हिंसा के प्रति मेरी घृणा कम होने लगी। मैंने भी एक कातिल दिन, मेंढ़क को उल्टा कर चारों पैरों में कीलें लगा दी। अरर ! गुरुदेव, कहा नहीं जाता ! उस मेंढक को कितनी घोर पीड़ा हुई होगी ! इस बात का विचार तक मैंने नहीं किया। मेरे स्वार्थान्ध हृदय में दया की एक किरण भी न प्रकटी। कठोर हृदयी मैंने निर्दयी होकर मेंढ़क का हृदय चीर डाला। अरर ! यह क्या हो गया? चीरने में एक भाग जरा-सा आड़ा चीर गया। मैंने दूसरे मेंढ़क को चीरा। फिर तो पैसे देकर मेंढ़क ले आता और चीरता रहता। ओह ! मेरे जीवन में कितने ही पंचेन्द्रिय जीवों की हत्या हो गई ! कैसे छूटूंगा इस पापराशि से ? सुना है कि एक जूं मारने वाले को सात बार फांसी पर लटकना पड़ा, तो मुझे कितनी बार फाँसी की सजा भोगनी पड़ेगी? मानो मेरी बुद्धि ही भ्रष्ट हो गई थी। उन्मत्त के समान कार्याकार्य को नहीं समझते हुए मैंने कई पाप कर डाले । गुरुदेव! त्राहिमाम्, त्राहिमाम्। अब तो आप ही आधार हैं। मेरे स्कूल जीवन में १६ वर्ष की उम्र में एक और कलंकित घटना बन गयी। वह घटना याद आते ही मुझे चक्कर आ जाते हैं। मैं लेड़ीज़ टीचर के वहाँ ट्युशन के लिये जाता था। एक दिन उनकी वासना भड़की और उन्होंने मुझे बाँहो में ले लिया। चढ़ती जवानी मे मैं भी कंट्रोल न कर पाया, भयानक पाप में फँस गया। सामने से अनुकूलताएं मिलती हो, तब कोई विरल सत्त्वशाली आत्मा ही बच सकती है ! मैंने मेरा जीवन काजल से भी ज्यादा काला बना दिया। अरर! विद्यागुरु के साथ दुराचार ! अरर...... देह सम्बन्ध ! Jain Education Intemational For Personal & Private Use Only. क्या होगा इस पापी आत्मा का ? करुणानिधि! फिर मैंने कॉलेज लाइफ में प्रवेश किया। इस समय मेरी हिंसा वृत्ति दिन- दूगुनी रातचौगुनी प्रगति करने लगी परंतु अंतिम परीक्षा में प्रतिशत कम आने से बॉयोलोजी में एडमिशन न मिलने से मैंने कॉमर्स की लाईन पकड़ी। यहां तो मोहराजा का अट्टहास और भी विकराल हो उठा। घरवाले समझते थे कि पढ़ने जाता है, परन्तु एकाध पीरियड एटेन्ड कर गर्लफ्रेन्ड के साथ पिक्चर देखने पहुँच जाता। मोह ने एक नई पापवृत्ति खड़ी कर दी कि गर्लफ्रेन्ड हो, तो ही बुद्धिशाली कहलाउँगा । गुरुजनों की तरफ से पैसे की छूट का खूब दुरुपयोग करने लगा। इस प्रकार की कुप्रवृत्तियों से अनेक विजातीय व्यक्तियों को फँसाने का प्रयत्न करने लगा। सिस्टर कहकर लिफ्ट देने के बहाने विजातीय व्यक्ति को स्कूटर पर घुमा लाता और अपनी ओर आकर्षण बढ़ाने के दूसरे भी प्रयत्न करता रहता। कम्प्युटर का शिक्षण प्राप्त करके INTERNET CHAT स्कीम का (www.jainullibrary org

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