Book Title: Paschattap
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 116
________________ Learn from past, five in present and plan the future. भूतकाल की भूलों से सीखो... वर्तमान में जीओ और भविष्य की प्लानिंग (योजनाएँ) इस प्रकार बनाओ कि जिससे उन भूलों की पुनरावृत्ति न हो पाए। भूल इंसान से ही होती है, परंतु वह अपनी भूलों का इकरार कर सद्गुरु के पास प्रायश्चित ले लेता है, तो वह इंसान पूजनीय व परमात्मा बन जाता है। शास्त्र में कहा है कि, "जं पडिसेविज्जइ, तं न दुक्कर। ज आलाइज्जइ, तं दुक्कर // 1 // " पाप का सेवन करना, वह मुश्किल नहीं, परंतु उसकी आलोचना लेनी, वह ज्यादा मुश्किल काम है। इस पुस्तक की विशेषता धन्य है जिनशासन। जिसमें पापीओं के पाप को धोनेवाले प्रायश्चित का उत्तम विधान है। क्या गंगा मैली तो मैली ही रहेगी? नहीं। नहीं... प्रक्रिया करोगे, तो वह शुद्ध, स्वच्छ और निर्मल बन जायेगी। प्रायश्चित में यह अपूर्व शक्ति है, कि उसके बल पर आत्मा संपूर्ण निर्मल बन सकती है। MULTY GRAPHICS B0221 23873222423484222 Jain Education Intematonai For Bes t e Use Only www.janelibra

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