Book Title: Paschattap
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 52
________________ 43... कहीं सुनसान जाए 9 कमलश्री कुत्ती, बंदरी बनी... शिवभूति और वसुभूति दो भाई थे। शिवभूति की स्त्री कमलश्री अपने देवर वसुभूति के प्रति राग वाली बनी और उसने मोहवश अनुचित याचना की। भाभी के ऐसे अनुचित वचनों को सुनकर वसुभूति विचार करने लगा कि"ओह ! धिक्कार हो कामवासना को, जो ऐसी अनुचित याचना करवाती है। मुझे तो किसी भी हालत में कामाधीन नहीं होना है।" इस प्रकार वैराग्य उत्पन्न होने पर उसने दीक्षा ग्रहण कर ली। यह बात कमलश्री तक पहुँची । राग के उदय से आर्तध्यान में रहती हुई वह मानसिक और वाचिक पाप की आलोचना लिए बिना ही शुनी ( कुत्ती ) के रूप में उत्पन्न हुई। १) कमलश्री को अपने देवर वसुभूति के ऊपर राग हो गया। उसकी आलोचना न लेने से क्रमश: २) कुत्ती ३) बंदरी ४) हंसिनी ५) अंत में व्यंतर देवी बनी । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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