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कहीं मुनसान जाए...48
राजाने कौए को मारा।
राजाने हंस को मारा।
राजाने हरिण का शिकार किया।
वहाँ से मरकर रूपसेन का जीव कौए के रूप में उत्पन्न हुआ। एक दिन बगीचे में राजा-रानी के साथ संगीत का आनंद ले रहा था। इतने में कौआ सुनंदा को देखकर रागवशात् जोर-जोर से हर्ष पूर्वक काँव-काँव करने लगा। अनेक बार उड़ाने पर भी वह पुनः पुनः आकर वहीं बैठ जाता था राजा ने क्रोध में आकर उसे शस्त्र से मरवा दिया।
कौआ मरकर हंस के रूप में उत्पन्न हुआ। एक कौवे से उस हंस की मित्रता हो गई। एक दिन राजा और उसकी रानी सुनंदा एक वृक्ष के नी। बैठे थे। हंस की दृष्टि सुनंदा पर पड़ते ही उसे देखने में हंस मग्न हो गया। कौआ तो राजा के ऊपर विष्टा करके उड़ गया। राजा ने ऊपर हंस को देखते ही बाण मारकर उसे खत्म कर दिया। रूपसेन के भव में आत्मा ने आँख के पाप से मोह के संस्कार डाले थे। वे पीछे के भ और अंत में कुमृत्यु से मरना पड़ा। ___ वह हंस मरकर छठे भव में हरिणी की कुक्षि में हरिण के रूप में उत्पन्न हुआ। एक बार राजा अपनी पत्नी के साथ जंगल में शिकार करने गया श। घोड़े पर सवार होकर राजा और रानी हरिण के पीछे दौड़े। हरिण तीव्र गति से दौड़ रहा था। इतने में उसकी दृष्टि सुनंदा के चेहरे पर पड़ी। दृष्टि पड़ते ही हरिण स्थिर हो गया। उसकी मांसल काया पर राजा ने बाण फेंका और हरिण का जीव मर कर हथिनी की कुक्षि में पहुंच
लिया।