Book Title: Paschattap
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 103
________________ कहीं मुरझा न जाए...94 संता के अत्यंत राग से पुष्पकेतु राजा ने प्रजा की सभा बुलाकर, उस, कपट से पुत्री का विवाह पुत्र के साथ करने की अनुमति प्राप्त की। 2 आलोचना-प्रायश्चित्त लेका शुद्ध बनी हुई पुष्पचूला... or JOQ000 DOUGOOl पुष्पभद्र नगर में पुष्पकेतु नाम का राजा था। उसकी पुष्पवती नाम की रानी थी। उसने पुष्पचूल और पुष्पचूला नाम के युगल को जन्म दिया। पुष्पचूल और पुष्पचूला परस्पर अत्यन्त प्रेम से बड़े हुए। दोनों एक दूसरे से अलग नहीं रह सकते थे। अब राजा विचार करने लगा कि यदि पुत्री पुष्पचूला का विवाह अन्यत्र करूँगा, तो दोनों का वियोग हो जाएगा। अतः उसने प्रजाजनों की सभा बुलाई। सभा में पुष्पकेतु राजाने प्रश्न किया कि अगर मेरी धरती पर रत्न उत्पन्न हो जाये, तो उसे कहाँ जोड़ना, यह अधिकार किसका है? प्रजा ने उत्तर दिया कि, उत्पन्न हुए रत्न को जोड़ने का अधिकार आपको ही है। राजा ने घोषणा की-कि मैं इस पुत्ररत्न व पुत्रीरत्न को शादी द्वारा जोड़ता हूँ। इस प्रकार कपट से प्रजाजनों की सम्मति लेकर उनका परस्पर विवाह कर दिया। इस प्रकार के अन्याय से पुष्पवती के हृदय को गहरी चोट लगी। वैराग्य आने से उसने दीक्षा ले ली। मर कर देव बनी। पुष्पकेतु राजा भी कालांतर में परलोक में चला गया । .vate use only www.jainelibrary.org

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