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87... कहीं सुरक्षा न जाए
26 अंडे लिये हाथ में....
रानी ने कौतुक से मोरनी के अंडो को हाथ में लिया।
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१६ घडी अर्थात् ६ घंटे २४ मिनिट के बाद बारिश से धुले हुये अंडो को मोरनी ने पोसा।
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रूक्मिणी का जीव एक भव में राजा की रानी थी। राजा-रानी बगीचे में घूमने गये। वहाँ मोरनी ने अंडे रखे थे। रानी ने कौतुक से मोरनी के अंडे हाथ में लिये और ... उसके हाथ कुंकुमवाले होने से अंडे कुंकुमवर्ण वाले हो गये। जिससे मोरनी ने अंडो को नहीं पोसा । १६ घड़ी यानी ६ घंटे २४ मिनिट के बाद बारिश हुई। तब अंड़े धुल जाने से मोरनी ने उनको पोसा! रानी ने उसकी आलोचना नहीं ली। इस कारण से रूक्मिणी के भव में १६ वर्ष तक संतान का वियोग हुआ । नेमिनाथ भगवान को पूछने से प्रभु ने रूक्मिणी का समाधान किया। उसके बाद दीक्षा लेकर रूक्मिणी मोक्ष में गयी।
अंडे को हाथ लगाने से १६ घड़ी का वियोग होने पर १६ वर्ष के वियोग का कर्म बंध हो गया। तो फिर अंडे और आमलेट खाने वाले को कैसा कर्मबंध होगा? और उसकी आलोचना नहीं लेनेवाले की हड्डी -पसली एक हो जायेगी । इसलिये आलोचना लेनी चाहिये ।
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