Book Title: Paschattap
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 100
________________ 91... कहीं मुरझा न जाए दूसरी ओर स्वपति पर अनुराग रखने वाली कामलक्ष्मी राजा की अनुमति से प्रतिदिन दान देने लगी, ताकि उसका ब्राह्मण पति उसे किसी भी तरह से याचकसमूह में मिल जाये। एक बार घूमता- घूमता वेदसार ब्राह्मण वहाँ दान लेने आया। कामलक्ष्मी ने उसे पहचान लिया। पास में बुलाकर उसको स्वयं का परिचय दिया और उसके साथ भाग जाने के लिये एक योजना बनाई और कहा कि सातवें दिन मैं चंडीदेवी के मन्दिर में रात को आऊँगी। आप भी वहाँ आ जाना। वहाँ से हम दोनों इष्ट स्थान पर चले जायेंगे। रानी ने राजा के गले पर तलवार से प्रहार किया। इसके बाद रानी ने पेटदर्द का बहाना बनाया। अनेक वैद्य आये, परन्तु कोई फर्क नहीं पड़ा। तब कामलक्ष्मी ने राजा से कहा- मैंने एक बार आपकी बीमारी के समय मन्नत (मानता) की थी कि "हे चंडीदेवी! यदि यह वेदना मिट Jain Education International For Personal & Private Use Only गई, तो मैं और राजा दोनों काली चौदस के दिन तेरे पूजन के लिए आयेंगे ।" उसी समय आपकी वेदना शांत हो गई थी। परन्तु बाद में मैं पूजन हेतु जाना भूल गई । अतः हे राजन् ! आने वाली काली चौदस को पूजा करने हेतु चलने क निर्णय कर लीजिये । इसे सुनने के बाद राजा द्वारा निर्णय करने पर वेदना शांत हो गई। इस प्रकार का दिखावा कामलक्ष्मी न किया। चौदस के दिन घोड़े पर बैठकर राजा-रानी पूजा का सामान लेकर चंडीदेवी के मन्दिर की ओर रवाना हुए। चंडीदेवी के मन्दिर पर पहुँच कर घोड़े से उतर कर राजा व रानी चंडी देवी के मन्दिर की ओर चलने लगे। राजा मन्दिर के बाहर तलवार रखकर मन्दिर के दरवाजे पर माथा झुकाकर ज्यो ही प्रवेश कर रहा था, इतने में पीछे से रानी ने तलवार उठाकर राजा के गले पर प्रहार कर दिया। राजा का मस्तक धड़ से www.jainelibrary.org

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