Book Title: Paschattap
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 48
________________ 39...कहीं भुनक्षा न जाए युवा-अवस्था में सुरीला और मधुर कंठ होने से लोग उनके संगीत में मशगूल बन जाते थे। गीत-संगीत के रसिक महिलाओं के झुंड के झुंड उन दोनों का संगीत सुनने के लिये आते थे। अनर्थ का कारण जानकर राजा ने उनको देश-निकाल किया। दोनों पहाड़ पर से कूदकर आत्महत्या करने का विचार कर रहे थे। इतने में तो मुनि ने उनको मानव जीवन की महानता समझाई, जिससे दोनों भाईयों ने दीक्षा ली। गाँव-गाँव विहार करने लगे। दो मुनियों में से संभूति मुनि को बंदन करते करते चक्रवर्ती सनतकुमार की पट्टरानी के सुकोमल केश छू जाने पर संभूति मुनि ने नियाणा Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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