Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 02
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
View full book text
________________
तृतीयाध्यायस्य प्रथमः पादः
७३ आर्यभाषा-अर्थ-(क्रयादिभ्यः) क्री-आदि धातुओं से परे (श्ना) श्ना-प्रत्यय होता है (कतरि) कर्तृवाची (सार्वधातुके) सार्वधातुक प्रत्यय परे होने पर।
उदा०-(क्री) क्रीणाति । वह खरीदता है। (प्री) प्रीणाति । वह तृप्त करता है।
सिद्धि-(१) क्रीणाति । डुक्रीन द्रव्यविनिमये (क्रया०उ०) धातु से सार्वधातुक तिप्' प्रत्यय परे होने पर इस सूत्र से 'श्ना' प्रत्यय होता है। सार्वधातुकमपित (१।२।४) से 'श्ना' प्रत्यय के 'डित्' होने से सार्वधातुकार्धधातुकयोः' (७।३।८४) से प्राप्त गुण का डिति च' (१।१५) से निषेध हो जाता है। अट्कुप्वानुम्व्यवायेऽपि (८।४।२) से 'श्ना' के न् को णत्व होता है।
(२) प्रीणाति। प्रीञ् तर्पणे कान्तौ च (क्रयादि०उ०) पूर्ववत् ।
विशेष-क्रयादि धातु पाणिनीय धातुपाठ के क्रयादिगण में देख लेवें। श्नाः+श्नुः(१५) स्तम्भुस्तुम्भुस्कम्भुस्कुम्भुस्कुञ्भ्यः श्नुश्च।८२।
प०वि०-स्तम्भु-स्तुम्भु-स्कम्भु-स्कुम्भु-स्कुञ्भ्य: ५।३ श्नु: ११ च अव्ययपदम्।
स०-स्तम्भुश्च स्तुम्भुश्च स्कम्भुश्च स्कुम्भुश्च स्कुञ् च ते-स्तम्भु०स्कुञः, तेभ्य:-स्तम्भु०स्कुञ्भ्यः (इतरेतरयोगद्वन्द्व:) ।
अनु०-सार्वधातुके, कर्तरि, श्ना इति चानुवर्तते। अन्वय:-स्तम्भु०स्कुञ्भ्यो धातुभ्य: श्ना: अनुश्च कर्तरि सार्वधातुके।
अर्थ:-स्तम्भुस्तुम्भुस्कम्भुस्कुम्भुस्कुञ्भ्यो धातुभ्य: पर: श्ना: अनुश्च प्रत्ययो भवति, कर्तृवाचिनि सार्वधातुके प्रत्यये परत:।
उदा०-(स्तम्भु) स्तभ्नाति, स्तभ्नोति च। (स्तुम्भु) स्तुभ्नाति, स्तुभ्नोति च। (स्कम्भु) स्कभ्नाति, स्कभ्नोति च। (स्कुम्भु) स्कुभ्नाति, स्कुभ्नोति च । (स्कुञ्) स्कुनाति, स्कुनोति च । ___आर्यभाषा-अर्थ-(स्तम्भु०स्कुञ्भ्य:) स्तम्भु, स्तुम्भु, स्कम्भु, स्कुम्भु, स्कुञ् (धातो:) धातु से परे (श्ना) श्ना (च) और (श्नुः) अनु प्रत्यय होता है (कर्तरि) कर्तृवाची (सार्वधातुके) सार्वधातुक प्रत्यय परे होने पर।
___ उदा०-(स्तम्भु) स्तभ्नाति, स्तभ्नोति च । वह रोकता है। (स्तुम्भु) स्तुभ्नाति, स्तुभ्नोति च । वह खाज करता है। (स्कम्भु) स्कभ्नाति, स्कभ्नोति च । वह रोकता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jairfelibrary.org