________________ (22) सेठियाजैनग्रन्थमाला 63 सुख दुःख का कारण ममत्व है। 64 सद्विचार मन को पवित्र बनाने वाला है / 65 देहाभिमान संसार का बीज है। 66 जिस के तुम मालिक हो उस के बन्धन में भी तुम बंधे हो। 67 राग द्वेष अधर्म का बीज है। 68 समभाव सच्चे ज्ञान का बीज है / 66 ममत्व जगत् का बीज है। 70 सम्पूर्ण इच्छाओं का त्याग मोक्ष का बीज है। 71 स्वभाव के अनुसार प्रवृत्ति होती है। 72 अनुभव ज्ञान, विना भ्रान्ति दूर नहीं हो सकती। 73 अधिकार के अनुसार बोलो, जो चाहे उसे ही ज्ञानदान दों। 74 दूसरे को लघु समझने वाला स्वयं लघु है / 75 प्रातःकाल सारे दिन का कार्य निश्चय कर लो। 76 रात्रि को दिन के किये कार्यों पर विचार करो। 77 ज्ञानवान के पास रहो, दूसरे के आचरण से शिक्षा लेना सीखो ! 78 सुख की अपेक्षा काठिनाइयों का अनुभव करने से मनोबल बढ़ता है 76 नीच विचार उत्पन्न हों, उस समय सद्विचारों को