Book Title: Niti Shiksha Sangraha Part 01
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

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Page 99
________________ नीति-शिक्षा-संग्रह करो, उन को आने दो, बल्कि उनको बैठने के लिये बुला लो। 53 जहां पर स्त्रियां हों, वहां आपस में हँसी मजाक भी नहीं करना चाहिये / यही बात स्त्रियों के लिये भी है, वे भी पुरुषों के सामने अपनी निर्लज्जता न दिखावें / 54 चाहे कितना ही किसी पुरुष से प्रेम क्यों न हो; किन्तु उस की स्त्री के पास अकेले में पवित्र भाव लेकर भी मत जाओ / 55 रेल, तारघर, डाकघर, नाटकघर, सीनेमा, सभा, पुस्तकालय कारखाने आदि के नोटिसों में लिखी हुई सूचनाओं का उल्लंघन कदापि मत करो। 56 जिससे जिस बात के लिये जितने पैसे ठहरा लिये हों, उसे उतने ही दो। उस में से फूटी कौड़ी भी कम देने की इच्छा तक न करो। 57 किसी की मिहनत का बदला दिये विना न रहो / यदि वह उस समय उस के बदले में लेने से इन्कार करे तो फिर कभी किसी समय किसी दूसरे बहाने से उसको मिहनत का मेहनताना चुका दो। 58 नाई धोबी चमार मेहतर कुम्हार भाट आदि मनुष्यों की मजदूरी के दाम पूरे और प्रसन्नता पूर्वक दो / इन लोगों की प्रसन्नता में कीर्ति और नाराजी में अपकीर्ति होने में देर नहीं लगती। 56 रेल में या ऐसी सवारी अथवा स्थानों में,जहां पैसे देकर जाने आने का नियम बना हो, वहां विना पैसे दिये अथवा विना

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