Book Title: Niti Shiksha Sangraha Part 01
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

View full book text
Previous | Next

Page 100
________________ सेठियाजैनग्रन्थमाला टिकट या आज्ञा प्राप्त किये मत जाओ। 60 अपने पास जिस दर्जे का टिकट हो या जिस दर्जे के दाम दिये हों उससे ऊँचे दर्जे के स्थान में बैठने की कोशिश मत करो / विना किसी ज़रूरी कारण के या अधिकारी की विना आज्ञा पाये ऐसा करना, चोरी और धोखे की हद्द तक पहुँचाता है। 61 जहां वेश्याएँ या व्यभिचारिणी स्त्रियां रहती हों, उन चकलों या मुहल्लों में मत घूमो फिरो। उस रास्ते से यदि जाने आने का काम पड़े तो दूसरे रास्ते से जाओ, चाहे चक्कर क्यों न पड़े। 62 किसी के गुप्त काम या बात को यदि आप जानते हैं तो किसी प्रबल कारण से उत्पन्न हुए क्रोध के विना अथवा अविचार के कारण उसे प्रकट न करो। 63 जो कुछ मुँह से निकालो, खूब आगा पीछा सोचकर निकालो। मुँह से कही हुई बात निष्फल न जावे, इस का पूरा खयाल रक्खो / यह तभी हो सकता है, जब तुम अपनी जबान के पक्के और सोच-विचार कर बात निकालने वाले बनो। 64 यदि आप किसी की निःस्वार्थ सेवाथोड़ी बहुत भी तन से मन से या धन से कर सको तो कदापि न चूको। 65 जहां कहीं किसी एक विषय पर बातचीत चल रही हो, उस में भिन्न विषय की बात नहीं छेड़ना चाहिये, और न बातचीत ही करनी चाहिये।

Loading...

Page Navigation
1 ... 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114