Book Title: Niti Shiksha Sangraha Part 01
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

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Page 104
________________ (100) . सेठियाजैनग्रन्थमाला करने वाली गुप्त बात को समाचार पत्रों में लेख द्वारा या नोटिस मादि द्वारा प्रकट न करो। 84 जिस काम में मनुष्य दूसरे का अपराध देखता है, उसमें थोड़ा बहुत खुद का भी होता है। इसलिए अपने उस अपराध के लिये खुद को दण्ड दो और उस दोष को हटा दो, दूसरा मनुष्य आप ही भाप सुधर जावेगा। 85 विद्यार्थियो ! पाठशाला में पढ़ने लिखने के सिवाय, बात चीत, खेलकूद झगड़ा श्रादि दूसरा काम मत करो। यह ध्यान रखो कि पढ़ने के समय पढ़ो और खेलने के समय खेलो! 86 विद्यार्थियों को चाहिये कि अपने सहपाठियों से लड़ाई मकरें,बल्कि प्रेम के साथ रहें। सब के साथ भाई बहन का सा बर्ताव करें हिलि मिलि के निज गृह बसें, पंछिहु निपट अजान ! कछु लज्जा है या नहीं, बालक चतुर सुजान // ' 87 लड़को ! अपने देश की सभ्यता तुम्हें लड़कियों के साथ खेलने के लिये मना करती है ; इसलिये लड़कियों में मत खेलो। 88 लड़को ! विद्वान् पुरुषों की संगति में ही अपना समय बिताओ। विद्याप्रेमी पुरुषों के पास ही बैठो, उन की बातें ध्यान से सुनो और तदनुसार आचरण करो। यदि मूर्ख समाज तुम्हें वहाँ से * हटाने के लिए अनेक प्रकार की कोशिश करें तो भी तुम अपने सुमार्ग पर निर्भयता पूर्वक खड़े रहो।

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