________________ नीति-शिक्षा-संग्रह राजा हो, वहां निवास कदापि न करना चाहिए / 26 अनुचित काम का प्रारंभ करना, समय के स्वभाव से उलटा चलना, बलवान् के साथ खेंचातानी, और स्त्रियों पर विश्वास करना, ये चारों काम मृत्यु के द्वार हैं। ___30 ज्ञानी के साथ मूर्ख, धनी के साथ निर्धन, बली के साथ दुर्बल, समुदाय के साथ अकेला, स्वामी के साथ सेवक, गुरु के साथ शिष्य, यदि बराबरी करे तो क्या होगा? हार के साथ 2 दुःख और अप्रतिष्ठा। इसके अतिरिक्त क्या कुछ लाभ भी हो सकता है? कदापि नहीं / 31 हे कुत्ते! तेरा शरीर अत्यन्त निन्दनीय है; क्योंकि तेरे हाथ दान नहीं देते, तेरे कान शास्त्र नहीं सुनते, चोरी चारी के पदार्थ से तेरा पेट भरता है, तेरे नेत्र साधुओं के दर्शन नहीं करते और तेरे पांव तीर्थ यात्रा नहीं करते हैं, फिर तेरा मस्तक अहंकार से ऊंचा क्यों रहता? / 32 यदि प्राण कण्ठ तक भी आ जायँ तो भी धर्म विरुद्ध अनुचित कार्य नहीं करना चाहिए, और यदि उत्तम कार्य हो तो प्राण निकलते समय भी कर लेना चाहिए। 33 चाहे शुभ कर्म हो या अशुभ कर्म , उसे भोगना अवश्य पड़ेगा; क्योंकि भोग किये विना कर्म का क्षय सौ करोड़ युग तक भी नहीं होता; इसलिए कर्म का फल भोगने में आकुल