________________ सठियाजैनग्रंथमाला सन्मान करना चाहिए। 26 जहां अर्थ काम धर्मादिक में बाधा डालने वाले भील कोल आदि हिंसाप्रेमी असभ्य मनुष्य रहते हों, और जो देव गुरु की सामग्री से रहित हों, ऐसे दूषित स्थानों में धर्मोपार्जन करने की इच्छा रखने वालों को कदापि नहीं रहना चाहिए / क्योंकि ऐसे स्थानों में रहने से चोर परस्त्रीगामी और दुष्ट राजा के संसर्ग से धर्मादिक की हानि होती है, और देव दर्शन, गुरु का आगमन और साधर्मिक का सत्संग न होने से नये धर्मादि का उपार्जन भी नहीं हो सकता। 27 जहां पर अच्छा धर्म हो, अपनी रक्षा का अच्छा साधन हो, व्यापार हो, जल हो, रसोई के लिए सामग्री मिले, अपनी जाति वाले जहां निवास करते हों, ऐसे मनोहर देश में रहना चाहिए / तथा जहां पर गुणी लोग रहते हों, उत्तम उत्तम काम होते हों, पवित्रता रहती हो, प्रतिष्ठा होती हो, गुण का गौरव हो, अलौकिक ( लोकोत्तर ) ज्ञान की प्राप्ति होती हो, हवापानी अच्छा हो वहां पर बुद्धिमान निवास करे। 28 जहां पर सन्मान, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति न हो, और न बन्धु लोग रहते हों, उस देश में बुद्धिमान् न रहे / जहां पर राजा न हो, या बालक राजा हो, यो स्त्री राज्य करती हो, वहां भी नहीं रहना चाहिए / अथवा जहां बालक राजा हो,या दो राजा हों,या मूर्ख