________________ (10) सेठियाजैनग्रन्थमाला . की सेवा करने से होती है। 28 हाथ कंकण से शोभा नहीं पाता, किन्तु दान से शोभा पाता है। चन्दन से शरीर शुद्ध नहीं होता, लेकिन स्नान से ऊपर का शरीर शुद्ध होता है / और दया क्षमा संयम आदि से अन्तःकरण शुद्ध होता है / भोजन से तृप्ति नहीं होती, किन्तु सन्मान से होती है। तिलक छापा आदि भूषणों से मुक्ति नहीं होती, किन्तु सम्य ग्ज्ञान पूर्वक चारित्र का पालन करने से होती है। 26 नाई के घर पर बाल बनवाने वाला, पत्थर पर चन्दन आदि गन्ध का लेपन करने वाला, पानी में अपनी परछाई को देखने वाला मनुष्य यदि इन्द्र हो तो भी लक्ष्मी उस को छोड़ देती है / ____30 कुंदरू का भक्षण करने से तत्काल बुद्धि नष्ट हो जाती है, वच का सेवन करने से शीघ्र ही बुद्धि बढ़ती है, स्त्री चटपट शक्ति हर लेतीहै और दूध तत्काल. ही बल बढ़ाता है। 31 जिन सज्जनों के मन में हमेशा ही दूसरे की भलाई करने की इच्छा रहती है, उन का सब दुःख नष्ट हो जाता है, और उन को पद पद पर सम्पत्ति मिलती है। - 32 यदि घर में पतिव्रता स्त्री हो, घर में खूब धन हो, पुत्र गुणवान् हों, पुत्र के पुत्र उत्पन्न होगया हो तो स्वर्ग में ही, इससे ज्यादा और क्या सुख ? 33 भोजन करना, नींद लेना, डरना, मैथुन करना, इन बातों