________________ नीति-शिक्षा-संग्रह ले जाती; क्योंकि वह समझती है, कि यह भिक्षुक मुझ से कुछ मांग न बैठे। 2 इज्जत खाकर जाने की अपेक्षा मरना अच्छा है; क्योंकि मरने के समय क्षण भर का दुःख होता है; किन्तु इज्जत जाने का कष्ट हमेशा मन में खटकता रहता है। 3 मीठे वचन बोलने से सब प्राणी प्रसन्न होते हैं। इसलिए ऐसे वचन बोलना चाहिए, जिससे सब को सुख हो; क्योंकि संसार में प्रिय और मीठे वचनों की कमी नहीं, फिर हमें क्यों बचन में निर्धनता दिखानी चाहिए / 4 मनुष्यों के बाल सफेद हो जाते हैं, दात गिर जाते हैं. शरीर नम जाती है, गुलाबी तथा लाल शरीर फीका और शुष्क हो जाता है, नेत्र ज्योतिहीन हो जाते हैं, हाथ पैर काँपने लगते हैं, तो भी जीन की आशा और विषय की अभिलाषा पीछा नहीं छोड़ती। यह सब दुष्कर्म की महिमा है। 5 विषय- अभिलाघा, उसके साधन जुटाने से पूर्ण नहीं होती, न हुई और न होगी भी. केवल विषय भोग के साधनों का त्याग करने मे, तप संयम का पालन करने से पूर्ण शान्ति मिल सकती है। जैसे वी डालने से अग्नि शान्त नहीं होती, वैसे ही विषय का सेवन करने से विषय- अभिलाषा तृप्त नहीं होती। 6 जैसे शराब के नशे में चूर हुआ मनुष्य, अपनी स्त्री को