________________ नीति-शिक्षा-संग्रह (71) उत्तर दिशा में, देव-गृह ईशान कोण में रखना शुभ माना गया 38 वैर, वैश्वानर (अग्नि) व्याधि, वाद और व्यसन , ये पांचों वकार वृद्धि पाकर महान् अनर्थ के करने वाले होते हैं / इस लिए इनका आत्मा से स्पर्श भी नहीं होने देना चाहिए। 36 पति से प्रेम और सेवा–भक्ति करने वाली, पति की घर सम्बन्धी चिन्ता को दूर करने वाली, चतुर, ज्ञानवती, अच्छी सम्मति देनेवाली, घर पर आये हुए अतिथि आदि का सत्कार कर. नेवाली, मीठे वचन बोलने वाली स्त्री, कल्पलता के समान गृहस्थ की अभिलाषा को पूर्ण करने वाली होती है। उसे लोग गृहलक्ष्मी कहते हैं। 40 पति के चित्त के अनुकूल चलने वाली स्त्री, मन्त्र तन्त्र तथा औषधि के विना अपने पति के मन को वश में कर लेती है। इसलिए जो स्त्री अपने पति को वश करना चाहती है, उसे अपने पति की आज्ञा और इच्छा के अनुकूल चलना चाहिए, पति अपने आप वश हो जायगा / . __ 41 पुष्ट जंघा, भरे हुए गाल, छोटे और एक सरीखे दांत, लाल कोनों वाले नेत्र और कमल के समान नेत्र, बिम्बफल समान लाल होंठ, उन्नत नासिका, हाथी के समान चाल, चिकना शरीर, गोल मुख, विशाल और कोमल जा, मधुर स्वर और सुन्दर