________________ सेठियानन्यमाना E5 संसार रूपी समुद्र में साधुरूपी नौका धन्य है, जिस की उल्टी ही रीति है। उस के नीचे रहने वाले तिरते है और ऊपर रहने वाले नीचे गिरते हैं; अर्थात् साधु महात्माओं से नम्र रहने वाले संसार से पार होते हैं और नम्र न रहने वाले को धर्म के स्वरूप का ज्ञान न होने से वे नरक में जाते हैं / 66 अमृत का घर औषधियों का स्वामी अमृत ही के शरीर वाला और पूर्ण शोभा वाला चन्द्रमा सूर्यमण्डल में जाकर तेज हीन हो जाता है; इस से मालूम होता है..- पगये घर में जाने से कौन नीचा नहीं होता। . .67 भौंरा जब कमलिनी के फूलों के बीच में रहता है, तब उन फूलों के रस के मद से उन्हीं में अलसाया हुआ पड़ा रहता है। किन्तु जब भाग्यवश परदेश में चला जाता है, तब कमलिनी के फूलों के न होने से कुटज के फूलों को ही बहुत कुछ समझलेता है। 8 बन्धन तो कई तरह के होते हैं; किन्तु प्रेम की रस्सी का बन्धन कुछ और ही होता है / भौंरा लकड़ी को भी आसानी से काट सकता है; परन्तु वह कमल के कोश में पड़ा हुआ शक्ति होने पर भी कुछ नहीं करता / ___16 काटा जाने पर भी चन्दन का वृक्ष अपनी सुगन्ध नहीं छोड़ देता, वृद्ध हुआ भी गजेन्द्र अपनी क्रीड़ा नहीं छोड़ देता, कोल्हू में पेरे जाने पर भी ऊख अपनी मिठास नहीं छोड़ता ; इसी