________________ नीति-शिक्षा-संग्रह (77) निकल जाने पर वह फिर भी अधिकार में आ सकती है / किन्तु शरीर का एक बार नाश होने पर फिर वह नहीं मिल सकता। 67 एक तिनका, मेह की एक बूंद को भी रोकने में समर्थ नहीं होता; किन्तु तिनकों का समूह, मेह की मूसलधाराओं को भी नीचा दिखा देता है; इसी तरह एक आदमी कुछ नहीं कर सकता किन्तु बहुत से आदमियों का समूह प्रबल शत्रु के भी दांत खट्टे कर देता है। 68 जल में तेल स्वभाव से अपने आप फैल जाता है / दुष्ट मनुष्यों में गई हुई गुप्त बात अपने आप फैल जाती है / सुपात्र को दिया हुआ दान स्वयं वृद्धि को प्राप्त होता है / और बुद्धिमान् पुरुष में शास्त्र का ज्ञान अपने आप बढ़ता चला जाता है / 66 वैराग्य बढ़ाने वाली धर्म सम्बन्धी कथा सुनते समय, श्मशान में जाते समय, रोगियों की रोगावस्था में जो बुद्धि उत्पन्न होती है, अगर वही बुद्धि हमेशा वैसी बनी रहती तो किसे इस संसार से छुटकारा न मिल जाता / 70 बुरा काम करके जो मनुष्य पछताता है, और उस समय जो उसकी निर्मल बुद्धि होती है, यदि वही बुद्धि पहले से ही होती, तो किस की सुख संपत्ति नहीं बढ़ती ? / 79 दान, तप, शूरता, बुद्धिमानी, सुशीलता, और नीति में किसी को अचंभा नहीं करना चाहिये; क्योंकि इस पृथ्वी पर अनेक