________________ नीति-शिक्षा-संग्रह (67) को गर्भ में पालती है, उस समय का कष्ट अकथनीय है; इसलिए माताका स्वप्न में भी अनादर नहीं होने देना चाहिए। 20 जब तक दूध पिलाती है तब तक पशु माता को मानते हैं, जब तक स्त्री नहीं मिल जाती तब तक अधम पुरुष माता को मानते हैं और मध्यम पुरुष जब तक गृहस्थ के कर्म को करते रहते हैं, तब तक माता को मानते हैं, परन्तु उत्तम पुरुष जब तक माता जीती रहती है, तब तक उसे तीर्थ के समान समझते हैं / 21 माता, पिता, कलाचार्य, और उनके कुनबे वाले तथा बूढ़े लोग और धर्म का उपदेश देने वाले, ये सभी सत्पुरुषों के मत से. गुरुवर्ग हैं। 22 राजा की स्त्री, गुरु की स्त्री, मित्र की स्त्री, सास और जननी ये पांच माताएँ हैं। 23 जन्म देनेवाला, उपदेश देनेवाला, विद्या देनेवाला, मन्न देने वाला और भय से बचाने वाला, ये पांचों पिता कहे गये हैं। 24 सगा भाई, साथ पढ़ने वाला, मित्र, रोग में रक्षा करने वाला, मार्ग में बात चीत करने वाला, ये पांचों भाई हैं। 25 सुन्दर विचार वाले उत्तम पुरुष को उचित है कि अपनी आत्मा में कृतज्ञता प्रकट करने के लिए और संसार में धर्म की श्रेष्ठता दिखलाने के लिए सदा माता पिता की सेवा शुश्रूषा और