Book Title: Niti Shiksha Sangraha Part 01
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

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Page 39
________________ नीति-शिक्षा-संग्रह (35) वह कुरूपा भी क्यों न हो। नीच कुल की सुन्दरी से भी ब्याह न करे; क्योंकि ब्याह समान कुल में ही माना गया है / 38 नदी का, शस्त्रधारी का, नखवाले तथा सींग वाले पशुओं का स्त्रियों का और राजवंश का कभी विश्वास न करना चाहिए ___ 36 विषमें से अमृत को, अशुद्ध पदार्थों में से सोने को, नीच पुरुष से उत्तम विद्या को और दुष्ट कुल से भी स्त्री रत्न को ग्रहण कर लेना चाहिए। 40 पुरुष से स्त्रियों का आहार दूना, लज्जा चौगुनी साहस छहगुना और काम अठगुना होता है। 41 असत्य, साहस माया मूर्खता अतिलोभ अपवित्रता और निर्दयता ये स्त्रियों के स्वाभाविक, दोष हैं / 42 जिस का पुत्र भाज्ञाकारी है, स्त्री उसकी इच्छा अनुस। चलने वाली है, तथा जो प्राप्त विभव में सन्तोष रखता है, उसको यहां ही स्वर्ग है। ___ 43 वे ही पुत्र हैं, जो पिता के भक्त हैं / वही पिता है जो अपने पुत्रों का भली भांति पालन करता तथा उन्हें योग्य बनाता है। वही मित्र है जिस पर विश्वास है, और वही स्त्री है जिससे सुख मिलता है / 44 पीठ पीछे काम बिगाड़ने वाले, सम्मुख मीठी 2 बातें बनाने वाले मित्र को, मुख पर अमृत और भीतर सम्पूर्ण विष से

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