Book Title: Niti Shiksha Sangraha Part 01
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

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Page 47
________________ नीति-शिक्षा-संग्रह गुरु का त्याग करना उचित है / जिस के मुँह से क्रोध टपकता है, ऐसी भार्या को अलग कर देना चाहिए और प्रेमहीन बन्धुओं से दूर रहना योग्य है। ___65 मनुष्यों को मार्ग बुढ़ापा है / घोड़ों को बांध रखना बुढ़ापा है / स्त्रियों को अमैथुन बुढ़ापा है / और कपड़ों को घाम बुढ़ापा है। 66 किस काल में क्या करना चाहिए, मित्र कौन हैं, देश कौन है, आय व्यय कितना है, मैं किस का हूं, मुझ में क्या शक्ति है, ऐसा बारंबार विचारना चाहिए / इस प्रकार विचार कर जो काम करता है, वह सफलीभूत होकर सदा सुखी रहता है। 67 घिसना काटना तपाना और पीटना इन चार प्रकारों से जैसे सुवर्ण की परीक्षा की जाती है, वैसे ही दान शील गुण और आचरण इन चारों प्रकारों से पुरुष की भी परीक्षा की जाती है। 68 भय से तच तक ही डरना चाहिए, जब तक भय नहीं आया है। भय आजाने पर उसे दूर करने का भरसक प्रयत्न करना चाहिए। हह एक ही गर्भ से उत्पन्न हुए और एक ही नक्षत्र में जन्म लेने वाले एक से स्वभाव के नहीं होते / जैसे बेर और उस के कांटे।

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