________________ (45) सेठियाजैनग्रन्थमाला शरीर को जलाते रहते हैं। 87 उस गाय से क्या लाभ, जो न दूध देती है और न गर्भ ही धारण करती है / वैसे ही उस पुत्र से क्या लाभ? जो न विद्वान हैं और न धर्मात्मा ही है। 88 संसार के ताप से जलते हुए मानवों को शान्ति के कारण तीन हैं- पुत्र, स्त्री और सज्जनों की संगति / 86 राजा लोग एक ही वार आज्ञा देते हैं / विद्वान् पुरुष एक ही बार बोलते हैं / और कन्या एक ही बार दी जाती है ये तीनों बातें एक बार ही होती हैं। 60 अकेले से तप, दो से पढ़ना, तीन से गाना, चारसे मार्ग चलना, पांच से खेती और बहुतों से युद्ध भली भांति होता है। 61 वही भार्या है ,जो पवित्र और चतुर है, वही भार्या है, जो पतिव्रता है / वही भार्या है, जो पति को प्यारी है। वही भार्या है, जो सच बोलने वाली है। ___62 निपूते का घर सूना है / बन्धु हीन के दिशा शून्य है मुर्ख का हृदय शून्य है और सर्वशून्य दरिद्रता है / 63 अभ्यास न करने से शास्त्र, और अजीर्ण में भोजन, विष समान हो जाता है / दरिद्रको गोष्ठी (सभा या परिवार) विष समान और वृद्ध पुरुष को युवती विष समान होती है / 64 दया रहित धर्म को छोड़ देना चाहिए, विद्या हीन