________________ सेठियाजैनग्रन्थमाला 67 हैसियत, अवस्था देश काल तथा जाति का विचार कर पुरुष स्त्री को योग्य कपड़े गहने आदि पहिनना चाहिए / जो मनुष्य अपने धन और अवस्था आदिसे उलटे गहने वस्त्र आदि पहिनता है, उसे संसार हँसता है और वह सब की दृष्टि में बहुत छोटा और अन्यायी समझा जाता है। . / 8 जो मनुष्य धनी मानी होकर भी फटा पुराना कपड़ा पहिनता है, या मैला कुचैला कपड़ा पहिनता है, या नंगा भुचंगा बना रहता है, उस कंजूस की संसार में क्या हँसी नहीं होती? अवश्य होती है / उसको लोग जीवित-मृतक या नर-पिशाच कहते हैं / - 66 देश के विरुद्ध वस्त्र भूषण पहिनना उपहासका कारण है / जैसे कोई यूरोपियन भारतवासी की नकल करे, उसी जैसा वेष पहने, वस्त्र भूषण धारण करे तो क्या उसे भारतवासी और यूरोपियन दोनों ही नहीं हँसेगे / या कोई भारतवासी काला साहब बनता है, तो क्या उसकी हँसी दोनों ही नहीं उड़ाते हैं? / 100 जिस काम को करने से लोक में निन्दा होती हो, वैसे काम करने से भय करना चाहिए / जो मनुष्य कुलीन या धर्मात्मा है, वही लोकापवाद से डरता है। प्रायः मनुष्य, धन आदि के लोभ में आकर या इन्द्रियों के विषय के आधीन होकर पाप कर्म में प्रवृत्ति करते हैं; लेकिन जिसे लोकापवाद का भय है, वह उक्त पाप से बहुत कुछ बच सकता है / इसलिए गृहस्थ को लोकापवाद से डरना