________________ सेठियाजैनग्रन्थमाला 104 कही हुई बात को पशु भी समझ लेते हैं / प्रेरणा करने पर हाथी घोड़े भी ठीक रास्ते पर चलते हैं। परन्तु बुद्धिमान् लोग बिना कहे भी बात को जान लेते हैं ; क्योंकि बुद्धि का यही काम है कि दूसरे के इशारे को ताड़ जाया करे। 105 बसन्त ऋतु में सब वृक्ष फूलते है और केवल करीर (कैर) वृक्ष के पत्ते नहीं होते , इस में क्या वसन्त का दोष है ? यदि दिन में उल्लू को नहीं दीखता तो क्या यह सूर्य का अपराध है ? चातक के मुँह में वर्षा की बूंद नहीं पड़ती तो क्या यह मेघ का दूषण है ? जो पहले इस आत्मा ने शुभ या अशुभ कर्म बांध लिए हैं, उनको मिटाने के लिए कौन समर्थ हो सकता है। 106 सज्जनों की संगति से दुर्जन सज्जन बन जाते हैं; किन्तु दुष्टों के संग से सज्जन दुर्जन नहीं बनते / जैसे पुष्प और मिट्टी का संयोग होने पर पुष्प की सुगन्धि मिट्टी में आ जाती है लेकिन मिट्टीकी गंध पुष्प में नहीं आती। 107 साधुओं का दर्शन पुण्यरूप है ; क्योंकि साधु तीर्थ रूप हैं। तीर्थ समय से फल देते हैं ; किन्तु साधुओं का सत्संग तत्काल फल देता है। 108 किसी ज्ञानी साधु को परम सुखी देखकर उन से एक गृहस्थी ने पूछा कि हे महाराज ! सुख तो माता पिता भाई मित्र कलत्र और पुत्र से होता है , आप के क्या ये हैं ? महात्मा ने