________________ (48) सैठियाजेनग्रन्थमाला से कर लेना चाहिए। 21 विद्वान् पुरुष को चाहिए कि बगुले के समान सब इन्द्रियों का संयमन कर देश काल और बल को जानकर सब कार्य सिद्ध करे। 22 उचित समय पर जागना, युद्ध में उद्यत रहना, बन्धुओं को प्राप्त वस्तु का भाग देना, अपने भुजबल से भोजन ढूंढ़ना, ये चार गुण कुक्कुट से सीखने चाहिए / 23 ज्यादा खाने की शक्ति रहने पर भी थोड़ेही से सन्तुष्ट होना, गाढ़ निद्रा रहते भी झटपट जागना, स्वामी की भक्ति और शुरता, ये गुण कुत्ते से सीखने चाहिए / 24 अत्यन्त थक जाने पर बोझा ढोते रहनां, शीत और उष्ण को न गिनना, सन्तुष्ट होकर विचरना, ये तीन गुण गधे से सीखने चाहिये। 25 गुप्त स्थान में मैथुन करना, समय पर संग्रह करना सावधान रहना, किसी पर एक दम विश्वास न करना, ये पांच गुण कौवे से सीखने चाहिए। 26 धन का नाश, मन का संताप, गृहिणी का चरित, नीच का वचन और अपमान, इन को बुद्धिमान् प्रकाशित न करे / 27 अन्न आदि के व्यापार में, विद्या का संग्रह करने में, पाहार और व्यवहार में, जो पुरुष लज्जा नहीं रखता, वह सुखी रहता है।