Book Title: Niti Shiksha Sangraha Part 01
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

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Page 40
________________ सेठियाजैनग्रन्थमाला भरे घड़े के समान छोड़ देना चाहिए / 45 कुमित्र पर तो विश्वास किसी प्रकार नहीं करना चाहिए, लेकिन सुमित्र पर भी विश्वास न करना चाहिए; क्यों कि कदाचित् - वह कुपित हो जाय तो सब गुप्त बातें प्रकट कर देता है। ____46 मन से सोचे हुए काम को बचन से प्रकट न करे; किन्तु पत्नपूर्वक उसकी रक्षा करे और गुप्त रूप से उस काम का उपयोग करे / 47 मूर्खता दुःख देती है और जवानी भी दुःख देती है, लेकिन दूसरे के घर में का वास अत्यन्त दुःख देने वाला है। 48 सब पर्बतों पर माणिक नहीं होते, सब हाथियों में मोती नहीं मिलते, साधु पुरुष सब जगह नहीं मिलते और सब बनों में चन्दन के वृक्ष नहीं होते।। 46 वह माता शत्रु और पिता वैरी है, जिसने अपने नालक को नहीं पढ़ाया / जैसे हंसों के बीच बगुला शोभा नहीं पाता, वैसे ही वह सभा में शोभा नहीं पाता। 50 प्यार करने से बहुत दोष होते हैं और दण्ड देने से बहुत गुण; इसलिए पुत्र और शिष्य को दण्ड देना चाहिए, प्यार नहीं करना चाहिए। 51 एक श्लोक या आधा श्लोक अथवा चौथाई श्लोक प्रतिदिन अवश्य पढ़ना चाहिए; तात्पर्य यह है कि दान अध्ययन आदि

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