Book Title: Niryavalikasutram
Author(s): Chandrasuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 11
________________ नवरं कूणिकस्तदा कालादिदशकुमारान्वितश्चम्पायां राज्यं चकार, सर्वेऽपि च ते दोगुन्दुगदेवा इव कामभोगपरायणास्त्रयस्त्रिंशाख्या देवाः फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थरहिं वरतरूणिसप्पिणिहिएहिं बत्तीसइपत्तनिबद्धेहि नाडपहिं उवगिजमाणा भोगभोगाई भुंजमाणा विहरति । हल्लपिहल्लनामाणो कूणियस्स चिल्लणादेवीअंगजाया दो भायरा अन्नेऽषि अत्थि। अहुणा हारस्स उप्पत्ती भन्नइ-इत्य सक्को सेणियस्स भगवतं पर निञ्चलभत्तिस्स पसंसं करेइ। तओ सेडुयस्स जीवदेवो तम्भत्तिरंजिओ सेणियस्स तुट्ठो संतो अट्ठारसर्वकं हारं देइ, दोन्नि य वट्टगोलके देइ । सेणिएणं सो हारो चेल्लणाए दिन्नो पिय त्ति काउं, वट्टदुगं सुनंदाए अभयमंतिजणणीए । ताए रुटाए कि अहं चेडरूवं ति काऊण अच्छोडिया भग्गा, तत्थ एगम्मि कुंडलजुयलं एगम्मि वत्थजुयलं तुट्ठाए गहियाणि । अन्नया अभओ सामि पुच्छइ–'को अपच्छिमो रायरिसि' त्ति। सामिणा उद्दायिणो वागरिओ, अओ परं बद्धमउडान पव्वयंति। ताहे अभएण रजं दिजमाणं न इच्छियं ति पच्छा सेणिओ चिंतेइ 'कोणियस्स दिजिहि' त्ति हल्लस्स हत्थी दिन्नो सेयणगो विहल्लस्स देवदिन्नो हारो, अभएण वि पव्वयं तेण सुनंदाए खोमजुयलं कुंडल जुयलं च हल्लविहल्लाणं दिन्नाणि । महया विहवेण अभओ नियजणणीसमेओ पव्वइओ। सेणियस्स चेलणादेवीअंगसमुन्भूया तिन्नि पुत्ता कूणिओ हल्लविहल्ला य । कूणियस्स उप्पत्ती पत्थेव भणिस्सइ । कालीमहाकालीपमुहदेवीणं अन्नासि तणया सेणियस्स बहवे पुत्ता कालपमुहा संति । अभयम्मि गहियवए अन्नया कोणिओ कालाईहिं दसहि कुमारेहिं समं मंतेइ-'सेणियं सेच्छाविग्धकारयं बंधित्ता एक्कारसभाए रजं करेमो' त्ति, तेहिं पडिस्सुयं, सेणिओ बद्धो, पुव्वन्हे अवरन्हे य कससयं दवावेइ सेणियस्स कूणिओ पुब्वभवे वेरियत्तणेण चेल्लणाए कयाइ भोयं न देइ भत्तं वारियं पाणियं न देइ । ताहे चेल्लणा कहऽवि कुम्मासे वाले हिं बंधित्ति सयारंवसुरं पवेसेइ । सा किर धोव्बइ सयवारे सुरा पाणिय सव्वं होइ, तीए पहावेण सो वेयणं न वेएइ । अन्नया तस्स पउमावईदेवीए पुत्तो एवं पिओ अत्थि, मायाए सो भणिओ १ 'डोयं प्रत्यन्तरे. Jain Educa t ional For Personal & Private Use Only 1 1 nelibrary.org

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