Book Title: Niryavalikasutram
Author(s): Chandrasuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 20
________________ निरया॥९॥ वलिका यस्स रन्नो नंदाए देवीए अत्तए अभए नाम कुमारे होत्या, सोमाले जाव सुरूवे साम० दंडे जहा चित्तो जाव रज्जधुराए चिंतए यावि होत्था। तस्स णं सेणियस्स रन्नो चेल्लणा नाम देवी होत्था, सोमाले जाव विहरइ । तते णं सा चिल्लणा देवी अन्नया कयाई तंसि तारिसयंसि वासघरंसि जाव सीहं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा, जहा पभावतो, जाव सुमिणपाढगा पडिविसज्जिता, जाव चिल्लणा से वयणं पडिच्छित्ता जेणेव सए भवणे तेणेव अणुषविट्ठा। तते णं तोसे चेल्लणाए देवीए अन्नया कयाई तिहं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउन्भूए-धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव जम्मजोवियफले जाओ णं सेणियस्स रनो उदरवलीमसेहिं सोल्लेहि य तलिएहि य भजितेहि य सुरं च जाव पसन्नं च आसाएमाणीओ जाव परिभाएमाणीओ दोहलं पविणेति । तते णं सा चेल्लणा देवी तंसि दोहलंसि अविणिजमाणंसि सुक्का भुक्खा निम्मंसा ओलुग्गा ओलुगसरीरा नित्तेया दीणविमणवयणा पंडुइतमुही ओमंथियनयणवयणकमला जहोचियं पुप्फवत्थगंधमल्लालंकारं अपरिभुजमाणी करतलमलियन्व कमलमाला ओहतमणसंकप्पा जाव झियायति । तते णं तीसे चेल्लणाए देवीए अंगपडिया 'सोल्लेहि य' त्ति पक्वैः ‘तलिपहि' त्ति स्नेहेन पक्वैः, 'भजिपहि' भ्रष्टैः ‘पसन्नं च' द्राक्षादिद्रव्यजन्यो मनःप्रसत्तिहेतुः 'आसाएमाणीओ' त्ति ईषत्स्वादयन्त्यो बहु च त्यजन्त्य इक्षुखण्डादेरिव, 'परिभापमाणीओ' सर्वमुपभुञ्जानाः (परस्परं ददन्त्यः) 'सुक्क' त्ति शुष्केव शुष्कामा रुधिरक्षयात्, 'भुक्ख' त्ति भोजनाकरणतो बुभुक्षितेव, 'निम्मंसा' मांसोपचयाभावतः, 'ओलुग्ग' त्ति अवरुग्णा-भग्नमनोवृत्तिः, 'ओलुग्गसरीरा' भग्नदेहा, निस्तेजा-गतकान्तिः दीना-विमनोवदना, पाण्डुकितमुखी-पाण्डुरीभूतवदना, ‘ओमंथिय' त्ति अधोमुखीकृत, उपहतमनःसङ्कल्पा-गतयुक्तायुक्तविवेचना, ॥९ ॥ Jain Educा For Personal & Private Use Only Inbrary.org

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