Book Title: Niryavalikasutram
Author(s): Chandrasuri,
Publisher: Agamoday Samiti
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________________ शवलिकर निरया॥४२॥ निरयावलियासुयखंधो सम्मत्तो / संमत्ताणि उषंगाणि / निरयावलिया उर्वयेणं एगो सुयखंधो पंच वग्गा पंचसु दिवसेसु उद्दिस्संति, तत्थ चउसु वग्गेसु दस दस उद्देसगा, पंचमवग्गे वारस उद्देसगा। निरयावलियामुयखंधो सम्मचो / निरयावलियामुत्तं सम्मत्तं // ग्रंयाग्रं 1100 // इति श्रीश्रीचन्द्रसूरिविरचितं निरयावलिकाश्रतस्कन्धविवरणं समाप्तमिति / श्रीरस्तु // ग्रन्थानम् 600 // श्रीनिरयावलिकासूत्रं सवृत्तिकं समाप्तम् // // 42 // JainEducal For Personal & Private Use Only Jainelibrary.org

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