Book Title: Niryavalikasutram
Author(s): Chandrasuri,
Publisher: Agamoday Samiti
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पासिहिसि। तते णं सा काली देवी समणस भगवओ अंतियं एयमहूँ सोचा निसम्म महया पुत्तसोएणं अप्फुमा समाणी परसुनियत्ताविव चंपगंलता धस त्ति धरणीतलंसि सव्वंगेहिं संनिवडिया। तते णं सा काली देवी मुहुर्ततरेणं आसत्या समाणी उठाए उट्टेति उद्वित्ता समणं भगवं [महावीरें] वंदइ नमसइ२ एवं क्यासी-एवमेयं भंते! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! सच्चेणं एसमढे से जहेतं तुन्भे वदह तिकटु समणं भगवं वंदइ नमसइ २, तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहतिर जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगता। भंते त्ति भगवं गोयमे जाव वंदति नर्मसति २ एवं वयासी-कालेणं भंते ! कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव रहमुसलं संगाम संगामेमाणे चेडएणं रन्ना एगाहचं कूडाहाचं जीवियाओ ववरोविते समाणे कालमासे कालं किच्चा कहिं गते ? कहिं उववन्ने ? गोयमाति समणे भगवं गोयम एवं वदासि-एवं खलु गोयमा! काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहि जाव जीवियाओ क्वरोदिते समाणे कालमासे कालं किया चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए हेमामे नरगे दससागरोवमठिइएमु नेरइएसु नेरइयत्ताए उवान्ने। कालेणं भंते ! कुमारे केरिसरहिं आरंभेहिं केरिसएहिं
(समारंभेहि केरिसएहिं) आरंभसमारंभेहिं केरिसएहि भोगेहिं केरिसरहिं संभोगेहि केरिसरहिं भागसंभोगेहि केरिसेण वा है। असुभकडकम्मपन्भारेणं कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए जाव नेरइयत्ताए उवदन्ने ? एवं खलु गोयमा!
ते णं कालेणं ते णं समएणं रायगिहे नाम नयरे होत्था, रिद्धत्यिमियसमिद्धा । तत्थ णं रायगिहे नयरे सेणिए नामं राया होत्या, महया। तस्स णं सेणियस्स रनो नंदा नामं देवी होत्या, सोमाला जाव विहरति । तस्स णं सेणिव्याख्या,'' अप्फुण्णा समाणी' व्याप्ता सती। शेष सुगम यावत्
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