Book Title: Natyadarpan Hindi
Author(s): Ramchandra Gunchandra, Dashrath Oza, Satyadev Chaudhary
Publisher: Hindi Madhyam Karyanvay Nideshalay Delhi

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ विषय (४) (५) स्थैर्य (६) गाम्भीर्य (७) प्रौदार्य शोभा (८) ललित गोरण नायक प्रतिनायक विदूषक प्रादि की प्रकृति धीरोद्धत्त आदि नायकों में से प्रत्येक के अलग अलग विदूषक धीरोद्धत्त आदि के सहायक अन्तःपुर के उपयोगी परिचारक वर्ग का वर्णन नायिका का लक्षण नायिकाओं के विशेष भेद नायिकाओं के तीन भेद (१) मुग्धा (२) मध्या (३) प्रगल्मा नायिकाओं के प्रसिद्ध भेद (१) (२) विप्रलब्धा (३) खण्डिता (४) कलहान्तरिता (५) विरहोत्कण्ठिता प्रोषितपतिका • (६) वासकसज्जा (७) स्वाधीनभर्तृका (८) अभिसारिका स्त्रियों के यौवन में होने वाले धर्म तीन प्रांगिक अलंकार (१) भाव (२) हाव (३) हेला दस स्वाभाविक धर्म ( ज ) (१) विभ्रम (२) विलास (३) विच्छित्ति (४) लीला Jain Education International For Private & Personal Use Only ... ... .... 9000 1904 ००० 6868 ... 4000 ... .... ... 840 19. पृष्ठ ३७३ ३७४ ३७४ ३७४ ३७५ ३७५ ३७५ ३७६ ३७६ ३७७ ३७५ ३७५ ३७९ ३५० ३५० ३८० ३५१ ३०१ ३८१ ३५१ ३५२ ३८२ ३८२ ३८३ ३५३ ३८४ ३८४ ३८४ ३८५ ३८६ ३८६ ३८७ ३८७ ३८७ ३८७ ३८८ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 ... 554