Book Title: Nandanvan Kalpataru 2011 06 SrNo 26 Author(s): Kirtitrai Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti View full book textPage 9
________________ गुरुभगवद्भ्यः शासनसमाट् - श्रीविजयनेमिसूरीश्वरेभ्यः पत्रम् मुनिलावण्यविजयः मात्राच्छन्दस्सु आर्याप्रकरणम् पथ्यावृत्तम् ई स्वस्ति श्रीमन्तं, प्रभूतभूतिगणनाथसन्तानैः । विरचितसंस्तवनरचनं, तथाऽजिनविराजितनुपार्श्वम् ॥१॥ विपुलावृत्तम् चन्दिरललितललाटतटं, विलसन्मङ्गलोल्लसितकायम् । परिचारकेशसन्मुकुटाापरदेहदेशं च ॥२॥ चपलावृत्तम् विमलं तथा त्रिलोकी-मनस्कमानसमरालबालनिभम् । वृषभासितेन गम्यं, मनोहरेण किल चरणेन ॥३॥ मुखचपलावृत्तम् भ्रष्टा जडाशया वै, कृपादृशा यस्य भूमिमण्डलके । स्वर्गङ्गा मान्यत्वं, दधते परममलशेखरकम् ॥४॥ जघनचपलावृत्तम् सरसश्रीखण्डानां, भोगानां चक्रिणा च प्रवरेण ।। परिचर्यमाणकायं, च चक्रिणा पावनाशवता ॥५॥ इत्यार्याप्रकरणम् ॥Page Navigation
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