Book Title: Nandanvan Kalpataru 2010 10 SrNo 25
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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१. श्रीवीरस्तुतिः
< धनुर्बन्धा > < वसन्ततिलका >
मि
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रं
प
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चित्रकाव्यानि
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लुं घो
वीरं नमामि विपदां दलनं दयालुं
रा
पापान् समुद्धरति यो जितभाववैरी
विजयनेमिसूरीश्वरशिष्यः स्व. प्रवर्तकमुनिश्रीयशोविजयः
३
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साकदेगजनंमशप्रमद्दर्पोदरीवैवभातजियोतिरद्धमुसन्या
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घोरान्धकारविधुरान् विविधोपतापान् ।
दर्पोद्गमप्रशमनं जगदेकसारम् ॥
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