Book Title: Nandanvan Kalpataru 2010 10 SrNo 25
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 34
________________ गलज्जलिका दैवज्ञं कं पृच्छेयम् ? डॉ. अभिराजराजेन्द्रमिश्रः आयुरहो मे कियदवशिष्टं दैवज्ञं कं पृच्छेयम् ? सम्प्रत्यपि किं किं करणीयं दैवज्ञं कं पृच्छेयम् ?? ॥१॥ मयि जीवति गाङ्गेयसदृक्षे, सुयोधनादीनां नाशः भविता वा, न वा समरभूमौ दैवज्ञं कं पृच्छेयम् ? ॥२॥ अधिरथसूनोरिव ममाऽपि सूर्यात्मजता, मरणात्पूर्वम् पृथया प्रकाशयिष्येत नो वा, दैवज्ञं कं पृच्छेयम् ? ॥३॥ प्रतिशाखं सुस्थिरा उलूका अस्मिन्मञ्जुलकेलिवने समुत्सारयिष्यन्ते नो वा, कं दैवज्ञं ? पृच्छेयम् ? ॥४॥ पामरवसतेः सुखोन्मूलिनी दृष्टिर्द्रविणपिशाचानाम्' क्वचिदन्यत्र स्थास्यति नो वा, कं दैवज्ञं पृच्छेयम् ? ॥५॥ हृदयोदधिमन्थनसमुत्थितं प्राणदाहि मे गरलमिदम् धूर्जटिना पीयते वा न वा, कं दैवज्ञं पृच्छेयम् ? ॥६॥ जनितस्वापा क्लृप्तसाध्वसाऽपहृतमिथः परिचयसूत्रा विपत्तमिस्रा क्षीयते न वा, दैवज्ञं कं पृच्छेयम् ? ॥७॥ कामं श्वेताम्बरः संसदि, व्यवहारे नग्नो नेता प्राप्स्यति मुक्तिं मृतो वा न वा, दैवज्ञं कं पृच्छेयम् ॥८॥ राष्ट्रमिदं प्रच्छन्नसपलैर्बान्धव्याभिनयोत्तीर्णैः मुक्तं हन्त भवेद् वा न वा, कं दैवज्ञं पृच्छेयम् ? ॥९॥ १. Builders. २४

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