Book Title: Nandanvan Kalpataru 2010 10 SrNo 25
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 22
________________ इन्दिराष्टकम् विद्वान् महाबलेश्वरशास्त्री (पञ्चचामरच्छन्दः) रत्नपूर्णस्वर्णपात्रहस्तपङ्कजान्विते ! । रक्तपङ्कजालये ! समस्तभक्तसंस्तुते ! ॥ देवराजमुख्यनाकलोकवासिवन्दिते !। पाहि पाहि पङ्जाक्षवल्लभे ! नमाम्यहम् ॥१॥ देहि मे समस्तरत्नपूर्णस्वर्णभाजनं । रक्ष्य मां त्वदीयपादपदमसेवकं सदा । इन्दिरे ! मदीयदेवमन्दिरे सदा वस । पाहि पाहि पङ्कजाक्षवल्लभे ! नमाम्यहम् ॥२॥ बालभास्करोपमानदिव्यवस्त्रभूषिते ! । विप्रवर्गपठ्यमानवेदमध्यगोचरे ! ॥ वन्दिताङ्घि ! पद्मभक्तकार्यसाधनोद्यते ! । पाहि पाहि पङ्कजाक्षवल्लभे ! नमाम्यहम् ॥३॥ १२

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