Book Title: Nandanvan Kalpataru 2010 10 SrNo 25
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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॥ श्रीपार्श्वेश्वरस्तोत्रम् ॥
(कविजगद्धररचित-हरस्तोत्रान कारि)
विजयनेमिसूरीश्वरशिष्यः स्व. प्रवर्तकमुनिश्रीयशोविजयः
(हरिगीतं छन्दः)
भववनभ्रमजनितदिग्भ्रमसततमानससंभ्रम विगतचेतनमसमचेतनगुणनिकेतन! पार्थ! माम् ॥ विशदशारदकुमुदबान्धववदन! मन्दिरमापदां सदयमुद्धर जिन! यशोऽभिधमशरणं शरणागतम् ॥१॥
दरितभेदन! विविधवेदनमसमखेदनवापदं मदनमर्दन! मदविमर्दन! दुरिततर्दन! निर्दयम् ॥ लसदुपासन! विततशासन! विततवासनमानसं सदयमुद्धर जिन! यशोऽभिधमशरणं शरणागतम् ॥२॥
भुवनभूषण! विहतदूषण! कुमतिसंहतिपूषणं भुवनपावन! विगतभावनविषयधावनलोलुभम् ॥ भयविभञ्जन! भविकरञ्जन! वरनिरञ्जनपूजन! सदयमुद्धर जिन! यशोऽभिधमशरणं शरणागतम् ॥३॥

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