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जगत् प्रसिद्ध शास्त्रविशारद जैनाचार्यश्री विजयधर्म सुरीश्वरजी
संक्षिप्त परिचय
विश्व विख्यात सौराष्ट्र (काठियावाड़) प्रदेश, यों ही शत्रुक्षय और गिरनार जैसे परम पावन तीर्थ स्थानों को अपने ऊपर लिए जैनी मात्र के लिए श्रद्धा का भाजन हो गया है, तिस पर भी वह अपने महुवा नामक सुदूरवर्ती, सदा-समुद्र कल्लोल-सुसेवित एक सुरम्प शहर में जैनाकाश के चमकते सितारे, वर्तमान काल के कल्पतरु स्वरूप प्राचार्य श्रीविजयधर्मसूरिजी को जन्म देकर धन्य २ हो गया है । हमारा यह विषय नहीं कि महाराज श्री के समग्र जीवन को हम पाठकों के लिए सुगम कर सकें किन्तु उक्त महाराजश्री की प्राकृतिक महत्ता के वशीभूत हो हठात् कुछ शब्द लिख भव्य भावुक जनों को आपका कुछ परिचय करा देते हैं। __"आप श्री की माता कमला देवी और पिता रामचन्द्र इस भारत भूमि के अनुपम रत्न स्वरूप थे । वि० सं० १९२४ में महुवा नामक शहर में जन्म ले आपने अपने उभय (मातृ पितृ ) कुल को देदीप्यमान किया । उस समय लोग आप को मूलचंद के नाम
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