Book Title: Mukti Ke Path Par
Author(s): Kulchandravijay, Amratlal Modi
Publisher: Progressive Printer

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Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ।। अह नमा ।। इस पुस्तिका में अर्थ और संक्षिप्त विवेचन सहित प्रार्थनासूत्र (जयवीयरायसूत्र), पंच-सूत्र के प्रथम दो सूत्र, समाधि-विचारादि का सुन्दर संग्रह है। प्रार्थना-सूत्र द्वारा की गई भवनिर्वेद से लगाकर पर-हित-करण तक की प्रथम छ याचनाओं से लौकिक सुन्दरता के साथ ही साथ सद्गुरु-योग और उनके वचन का सेवन स्वरूप दो याचनामों से लोकोत्तर सौन्दर्य भी अपेक्षित है। पापप्रतिधात और गुणबीजाधान नामक पंचसूत्र के प्रथम सूत्र का पठन श्रवण चिंतन प्रात्मा में देश विरति धर्म की योग्यता प्राप्त कराने द्वारा कल्याण का महान् कारण है । साधू-धर्म परिभावना नामक दूसरे सूत्र के पठनादि से सर्वविरति धर्म की योग्यता प्राप्त होती है। For Private And Personal Use Only

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