Book Title: Mandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Author(s): Hansvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

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Page 8
________________ P= == = = =O0 रिउपर दर्शाया हुवा श्रीसिकाचलजीका स्तवन .... काफी .. नेमि निरंजन ध्यावोरे वनमें तपकीनो - यह चाल. G== === स्वामोसुपार्श्वजिणंदारे, दिये परम आनंदा ए आंकणी. शांत वदन शीतलना अर्पे । जैसे गगनमें चंदारे ॥ दिये० (१) सिद्धावलपर समवसरणमें। सेवे सुरनर इंदारे ॥ दिये० (२) तैसे तुमारी सेवा कारण । मूर्ति ठवे सानंदारे ॥ दिये० (३) मोति शाहकी टुंके मनोहर। काटे कर्मका कंदारे ॥ दिये० (४) कलकताके निवासी कर्णावत । हरवा भवोभव फंदारे॥ दिये. (५) लक्ष्मीचंदजी मुत हरमानसिंह । हर्ष धरीअमंदारे ॥ दिये. (६) हंस कहे वहां पांच प्रभुकी । प्रतिमा पूजो भवि बंदादिये०(७) ==== == = == 80-90=== = = =

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