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स्मृति प्रकाशन, मद्रास के संयोजक श्रीमान् रीखबचंद जी सा. लोढ़ा का विशेष रूप से आभारी हूँ कि उन्होंने किसी भी परिस्थिति में अर्थ सहयोग की बाधा नहीं आने दी और जिसके परिणाम स्वरूप यह ग्रंथ आज समय पर आपके हाथों में है।
श्री महेशजी गुप्ता, रोहित ऑफसेट, उज्जैन को हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने पूरी लगन के साथ इस ग्रंथ के मुद्रण के कार्य को सम्पन्न किया और इसे हर दृष्टि से सुन्दर बनाने का प्रयास किया।
ग्रंथ के मुद्रण की अवधि में उज्जैन में सिंहस्थ महापर्व की गहमा गहमी चल रही थी। चारों ओर इस महापर्व की व्यस्तता की छाया परिलक्षित हो रही थी। ऐसे व्यस्ततम वातावरण में यह स्वाभाविक है कि प्रुफ संशोधन में जाने-अनजाने कुछ त्रुटियाँ रह गई हो, इसका उत्तरदायित्व मैं अपने ऊपर लेते हुए विज्ञ पाठकों से अनुरोध करता हूँ कि वे पढ़ते समय आवश्यक संशोधन कर पढ़े।
प्रस्तुत ग्रंथ में जो अच्छा बन पड़ा है उसका समस्त श्रेय महासती द्वय की अखण्ड साधना और उनकी शिष्याओं को है। जो त्रुटियाँ/कमियाँ रह गई है उसका दायित्व मैं स्वीकार करता हूँ।
___ अंत में सभी ज्ञात-अज्ञात सहयोगी महानुभावों के प्रति एक बार पुनः आभार व्यक्त करता हूँ और विश्वास करता हूँ कि मुझे सभी से भविष्य में जब भी आवश्यकता होगी इसी प्रकार का आत्मीय सहयोग मिलता रहेगा।
सहयोग की अपेक्षाओं के साथ
महावीर जयंती, वि. सं. २०४९ उज्जैन (म. प्र.)
तेजसिंह गौड़
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