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है। स्वामी की आज्ञा के विना वस्तु-विक्रय में वचन की कठोरता होती है अतः उसका वर्णन यहाँ प्रतिपादित किया जाता है। वाणी की कठोरता में क्रोध आदि आवेश के वश नियम का अतिक्रमण भी सम्भव है अतः उस (समयव्यतिक्रान्ति) का स्वरूप वर्णित किया जाता है। समयव्यतिक्रान्ति में स्त्रीग्रह आदि दोष उत्पन्न होते हैं इसलिए यहाँ स्त्रीग्रहदोष का व्याख्यान किया जाता है। स्त्रीग्रह दोष के साथ द्यूत का साहचर्य होने से अब चूत का वर्णन किया जाता है। द्यूत में हारा हुआ कोई भी चोरी का आचरण करता है। इसलिए व्यसन की समानता से अब स्तैन्य-वर्णन का अधिकार कहा जाता है। स्तैन्यदण्ड से सम्बन्धित होने से साहसदण्ड का कथन किया जाता है। साहस दण्ड के साथ साहचर्य के कारण दण्डपारुष्य का निरूपण किया जाता है। दण्ड सदा धर्म की रक्षा के लिए होता है इसलिए अब स्त्री-पुरुष के धर्म की प्ररूपणा की जाती है।
पूर्व अधिकार के अन्तिम प्रकरण में स्त्री-पुरुष धर्म का निरूपण किया गया। स्त्री-पुरुष धर्म के मार्ग से विचलित होने पर प्रायश्चित्त की आवश्यकता होने से लौकिक प्रायश्चित्त जो लौकिक व्यवहार के साधन जाति द्वारा प्रदत्त दण्डनीति के रूप में होने से नीति से सम्बन्ध होने के कारण इस अधिकार में प्रायश्चित्त का वर्णन किया जाता है। लघ्वर्हन्नीति के सम्पादन में प्रयुक्त पाण्डुलिपियाँ ___ लघ्वर्हन्नीति के इस आलोचनात्मक संस्करण के सम्पादन में आधारभूत कागज की चार हस्तप्रतों का विवरण इस प्रकार है
(१) भ १ भोगीलाल लहेरचन्द संस्कृति विद्यामन्दिर, दिल्ली के हस्तप्रत भण्डार में उपलब्ध लघु-अर्हन्नीति की इस हस्तप्रत का क्रमाङ्क ३१४५ है। इसमें ४० पत्र हैं । इसकी लम्बाई २२.५ से. मी. और चौड़ाई ११ से. मी. है। इसमें प्रत्येक पृष्ठ पर १६ पंक्तियाँ हैं। हस्तप्रत का लेखन काल अङ्कित नहीं है। प्रतिलिपि संवत् १९४७ (सन् १८९०) में की गई है।
(२) भ २ भोगीलाल लहेरचन्द के हस्तप्रत भण्डार में ही उपलब्ध इस हस्तप्रत का क्रमाङ्क ३१६५ है। इसमें ३१ पत्र हैं। इसकी लम्बाई २०.५ से. मी. और चौड़ाई ९.५ से.मी. है। इसमें भी प्रत्येक पृष्ठ पर १६ पंक्तियाँ हैं। इस हस्तप्रत का भी लेखन काल अङ्कित नहीं है। प्रतिलिपि संवत् १९४६ (सन् १८८९) में की गई है।
(३) प १ पाटन (गुजरात) के श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमन्दिर में उपलब्ध इस हस्तप्रत का क्रमाङ्क २५६९ है। इसमें ३३ पत्र हैं। इसकी लम्बाई २३.५ से. मी. और चौड़ाई ९.५ से.मी. है । इसमें प्रत्येक पृष्ठ पर १६ पंक्तियाँ हैं।