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लघ्वर्हन्नीति
(वृ०) पैतामहार्जितवस्तुविषयमाह - पितामह द्वारा अर्जित वस्तु (सम्पत्ति) के विषय में कथन
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पैतामहार्जिते वसौ साम्यं वै पितृपुत्रयोः । राज्ये नियोगे पितरं वारयेत्तत्कृतौ सुतः॥६३॥
पितामह द्वारा अर्जित धन में पिता और पुत्र दोनों का बराबर अधिकार है राज्य में नियोग करते पिता को पुत्र रोक सकता है।
इति संक्षेपतः प्रोक्तः ऋणादानक्रमो ह्ययम् । विस्तारो बृहदर्हन्नीतिशास्त्रे वर्णितो भृशम् ॥६४॥
इस प्रकार संक्षेप में यह ऋण ग्रहण क्रम वर्णित किया गया। बृहदर्हन्नीति शास्त्र में यह अत्यन्त विस्तार से वर्णित है।
॥ इति ऋणादानप्रकरणम् ॥
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