________________
निक्षेपप्रकरणम्
१५१
साक्षी के वचनों को सुनकर जो स्फूर्तिपूर्वक उत्तर देने वाला है उसे 'साक्षिसाक्षी' जानना चाहिए क्योंकि वह साक्षियों की (बातें सुनकर) साक्ष्य देने वाला है। (उपरोक्त) ये ग्यारह प्रकार के साक्षी कहे गये हैं।
(वृ०) अत्र शुद्धवंशजा इत्यनेन मूर्धावशिष्टां बष्टादीनां न साक्षि- योग्यतेति सिद्धम् -
ऊपर शुद्धवंश में उत्पन्न साक्षियों का कथन किया गया है। अतः ऊपर वर्णित शुद्ध साक्षियों के अतिरिक्त शेष दासी पुत्रादि साक्ष्य के योग्य नहीं हैं यह फलित होता है -
इति संक्षेपतः प्रोक्तो निक्षेपविधिसङ्गहः।
विस्तृतिश्चास्य विज्ञेया महार्हन्नीतिशास्त्रतः॥४१॥ . इस प्रकार संक्षेप में निक्षेप विधि का कथन किया गया, इस विषय में विस्तार से बृहदहन्नीति से ज्ञात कर लेना चाहिये।
॥ इति निक्षेपप्रकरणम् समाप्तम्।।