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अस्वामिविक्रयप्रकरणम्
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वर्णितोऽयं समासेनऽस्वामिविक्रय एव च। विशेषस्तु बृहच्छास्त्रात् ज्ञातव्यो धिषणान्वितैः॥१३॥
यह संक्षेप में ही वस्तु के स्वामी द्वारा नहीं (अन्य द्वारा) विक्रय का वर्णन किया गया बुद्धिमानों द्वारा (इस सम्बन्ध में) विशेष बृहत् शास्त्र (बृहदर्हन्नीति) से जानना चाहिए।
॥ इति अस्वामिविक्रयप्रकरणम्।।
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