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स्त्रीग्रहप्रकरणम्
अध्टपूर्वस्त्रीभिर्यो राजाध्वनि च संलपेत्। केनापि हेतुना दण्ड्यो न स्यान्नो तद्व्यतिक्रमः ॥५॥
जो पुरुष पहले न देखी गई स्त्रियों के साथ राजमार्ग में किसी प्रयोजनवश वार्तालाप करे तो वह दण्डित करने योग्य नहीं है, यह उल्लङ्घन नहीं है।
तीर्थे कूपे वने स्थाने विजनेऽभिलपेन्नरो ।
अरण्ये च सर्वथा दण्ड्यः परिणामाश्रयो विधिः ॥ ६ ॥
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(यदि कोई ) पुरुष तीर्थ, कूप, वन, निर्जन स्थान और जङ्गल में (परायी स्त्री से) वार्तालाप करे तो (वह पुरुष) सर्वथा दण्डनीय है क्योंकि नियम परिणाम के आश्रित होते हैं।
एकासत्रानं
दे गन्धलेपनमम्बुना । केली रहः संलपनं तथा भूषणवाससाम्॥७॥ परिधानं स्वहस्तेनान्योऽन्यं स्पर्शनचुम्बने । सह खट्वासनं चैतदुभयोर्दण्डकारणम् ॥८॥
परायी स्त्री के साथ एक आसन पर भोजन, शरीर पर सुगन्धित (द्रव्य का) लेप करना, जल क्रीड़ा, एकान्त में अन्तरङ्ग वार्तालाप तथा अपने हाथ से आभूषण, वस्त्र और अधोवस्त्र पहनाना, परस्पर स्पर्श एवं चुम्बन करना और एक साथ खाट पर बैठना दोनों (पुरुष एवं स्त्री) के दण्ड का कारण है .....
वर्णत्रयेषु यः कश्चित् सेवेत् ब्राह्मणीं यदि । छित्वा लिङ्गं महीपस्तं देशान्निर्वासयेत्त्वरम् ॥९॥ ब्राह्मणीमपि कृष्णास्यां कारयित्वा च भ्रामयेत् । पुरे स्वानुचरैर्भूपः पुनर्निष्कासयेद्बहिः ।। १०॥
तीनों वर्णों (क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र) में से कोई (पुरुष) यदि ब्राह्मणी का भोग करे तो राजा द्वारा (उसका ) लिङ्ग कटवाकर शीघ्र उसे देश से निर्वासित करना चाहिये। ब्राह्मणी को भी मुख में कालिख लगवाकर अपने भृत्यों से नगर में घुमाना चाहिये और पुनः (देश से) बाहर निष्कासित करना चाहिये।
ब्राह्मणो यदि सेवेत क्षत्रियां भूमिपस्तदा । ज्ञात्वा चरित्रं तद्वतैरुभौ निष्कासयेत्पुरात्॥११॥
यदि ब्राह्मण क्षत्रिय स्त्री के साथ भोग करे तो राजा द्वारा उसके चरित्र को जानकर दोनों को शीघ्र नगर से निष्कासित करना चाहिये ।
१. ब्राह्मणो भ १, भ २ प १ ॥